Saturday, June 13, 2009

My first blog on Blogspot.................

Hello Friends ,



There were so many times I wish to write ,

somehow I could never venture into the time which was right ,

But today i broke the shackle , and ready to tackle , the beautiful world of blog ,

Following is my self written poem on Indore city , for those
who have been to Indore or want to know about Indore may find it interesting :-


हाँ भिया अपन तो इन्दोरी हैं
सुबह का अखबार चाय की चुस्कियों के साथ ,
नाश्ते के लिए बोलो तो हो जाये पोहे संग जलेबी का साथ
हाँ भिया अपन तो इन्दोरी हैं

चाहे हो इम्तिहान की चिंता या फिर हो रिजल्ट की ख़ुशी
चाहे घर आई हो चमचमाती कार या फिर आँगन में खडी हो बाइक नयी ,
सारी खुशियों का एक ही ठिकाना ,
हाँ वही अपना खजराना
हाँ भिया अपन तो इन्दोरी
हैं स्वाद की तो बस पूछिये ही मत बात ,
चाहे हो सराफे की चाट , या फिर हो ५६ का hotdog
चाहे हो गर्मी को मात देती घमंडी लस्सी या
फिर हो गुरूद्वारे के पास की पानीपूरी
क्यों आ गया ना मुह में पानी , यही तो इंदौर की बात है
जानी घुमने जाना हो तो मेट्रो टैक्सी है , ज्यादा गर्मी है तो मोनिका galaxy है
दाल बाफले का जायका दिल खुश कर देगा ,
सर्दियों में गराद्दू बस यही मिलेगा हर खाने की लज्ज़त हो जाती है दुगनी ,
जब मिल जाती है उसमे यहाँ की सेंव और चटनी
दिल से देते हैं प्यार की दावतें ,
इसलिए हमेशा शान से कहते हैं
हाँ भिया अपन तो इन्दोरी हैं

लालबाग यहाँ की पहचान है , राजबाड़ा इंदौर की जान है ,
विजय बल्ला अपना अभिमान है ,
कांच का मंदिर इंदौर की शान है
गांधी हाल की घडी हमे आज भी समय की सीख सीखती है ,
टी.आई. की चमक हमारी प्रगति दिखाती है
अहिल्या की नगरी है , मप्र का गौरव , रहेगा हर पल इस पर गर्व
हाँ भिया अपन तो इन्दोरी हैं
हर कान ने सुन रखा है पाकीजा का नाम ,
हर आँख देख चुकी है "अभय प्रशाल " में गरबे की थाप ,
कभी न कभी हर किसी ने देखा होगा नेहरु स्टेडियम का कोई FUNCTION
कभी न कभी किसी को लगा होगा "MY" हॉस्पिटल का INJECTION
हर किसी ने सिटी बस में बैठकर शहर घुमा होगा ,
और नगर सेवा वालों का "मांगलिया" "मांगलिया" भी सुना होगा इसलिए कहते हैं की भिया अपन तो इन्दोरी हैं

आखिरी में बस यही कहता हूँ , मेरे दोस्त मेरे यारा ,
है दिल्ली दिलवालों का शहर और मुंबई एक चमकता सितारा ,
पर जो एक बार इंदौर में आकर जिंदगी के कुछ बिताता है ,
यहाँ का मौसम यहाँ की हवा यहाँ के लोग भूल नहीं पाता है ,
तो दिल से स्वागत है , आकर एक बार यहाँ जरुर देखिएगा ,
साड़ी खुशियाँ झोली भरकर ले जायेंगे , ये वादा है हमारा .
हाँ भिया अपन तो इन्दोरी हैं , तो फिर भिया कब आ रिये हो

So many moments of share , care and happiness ,

would love to share with you with all earnestness...............

2 comments:

  1. hi Friend............
    This poem is awesome , and u r very talented......U R a true indori without doubt
    keep it up
    m waiting for u to write something on Bhopal as well

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  2. kool hai ekdumitna talent kahan se aaya

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