Hi Friends ,
Its the message for all human beings to believe in oneself .
अपेक्षाओं के अग्निपथ पर सदा चला है तू ,
निराशा की लहरों से चट्टान सा लड़ा है तू ,
तू आदमी है , सर्व शक्तिमान , बुद्धिमान भी ,
इन राहों की मुश्किलों से कहाँ डरा है तू ,
तू चल वहां की हो जहाँ उस आसमान से हौसले ,
हजारों के बीच तेरी एक ललकार बुलंद हो ,
क्यों मांगता है , जीत की दुआएं , बस ये सोच ले ,
की हार शब्द ही मिटे , जो पग तेरे ये चल पड़े ,
ना शत्रु के औजार से ,
न खून की बौछार से ,
ना तू डिगे तू क्यों झुके ,
जो चल पड़े तू चल पड़े ,
कि आसमा को भेदना ही अब तेरा मुकाम हो ,
कि जय कि घोषणा ही अब तेरा पैगाम हो ,
प्रयत्नों कि चिंगारियों से , लगा कुछ ऐसी आग सी ,
मंजिल भी काँप उठे , और चले आये भागती ,
स्वागत को तेरे खुद देव हो खड़े ,
तू चल पड़े जो चल पड़े ...................... अमित नन्दवाल
Friday, August 28, 2009
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