ऐ जिंदगी तू क्या चीज है !
कल तुझे ढूँढने निकला जो गलियों में , पाया तुझे नन्ही खेलती , मस्ती करती आंखों में ,
एक ख्वाब लिए , एक ख्वाब सपना सच होने का , एक ख्वाब कल मेरा होगा ,
और चाहे हकीकत कुछ भी हो पर मेरा ख्वाब तो बस मेरा होगा !!
तुझे देखा किसी जवान आंखों में भी , दिखी तू अपने बिखरे बिखरे रूप में
कहीं भागती दौड़ती दुनिया के बीच अपनी पहचान बनने कि प्रतिस्पर्धा में
अपने लिए अपनों को भूल जाने कि होड़ में तू भागती दिखी !
थम , जरा साँस भी ले , जान ले , मान ले , जो तेरे पास है , उसके लिए भी किसी
को आस है , भरोसा रख ख़ुद पर , इसी में जीने का विश्वास है !!
तुझे देखा उन बूढी आंखों में , जिसमे अब सुकून का आभाव है
सारी उमर जिंदगी देखने के बाद अब थम जाने कि आस है ,
क्यूँ नही बदलती तू अपना जीने का तरीका ,
कि जाते जाते भी मन बोल उठे ऐ जिंदगी तुझसे बहुत कुछ सिखा
अमित नन्दवाल
Friday, September 11, 2009
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