Monday, September 27, 2010

इन्दोरी भिया जब पहुचे अमरीका .................

ये सूबे सूबे सूरज को पता नि क्या हुआ ने कहाँ से निकला ,
मुह हाथ धोके जैसे ही अख़बार देखा तो नईदुनिया में मेरे नाम का चर्चा निकला ,
भिया मैंने तो मजे मजे में कोम्पेटशन में करीना को पेचान लिया था ,
पर ऊपर वाले की मेहरबानी देखो उसने भी शायद मेरा टेलेंट जान लिया था ,
तभी तो आज आधी रोटी में डाल के दाळ खा रिया हूँ ,
और परसों की फिलाइट पकड़ के ने अमरीका जा रिया हूँ

ने यूँ तो अपन ने पाट्निपुरे से पलासिया के भोत चक्कर मारे थे ,
पर ये सीधे पीलेन में बैठने का पहला मौका पड़ा था ,
भिया एअरपोर्ट की चमक देख के तो में चमक ही गया ,
और जब एक सुन्दर लेडीस ने पानी का पुछा फिर तो पूरा बहक ही गया ,
एक घंटे तो बड़ा मजा आया पीलेन में बैठे बैठे टीवी देखता रिया ,
थोड़ी देर बाद यार पता नि कहाँ से प्रेशर बन्ने लगा ,
अब फ्री में मिल रिया था तो मैंने नि नि करके बस ३ बार खाया था ,
पहले तो सोचा रुक जाऊँ पर फिर सोचा सफ़र लम्बा था ,
एक जगो थोड़ी लाइन दिख री थी परेशान लोगो की ,
अपने इन्दोरी दिमाग ने पेचान लिया हो ना हो येई होगा ,
पर अन्दर जाकर सब समझ आ गया , बाहर से जो चमकता है वो अन्दर खोखला होता है ,
इतने बड़े पीलेन के बाथरूम में एक मग्गा भी नहीं होता है

खैर जैसे तैसे फिर अमरीका पहुच ही गए ,
और बचपन में जो हवा बनायीं थी एक दिन अमरीका जाऊंगा , उसके दीदार भी हो ही गए ,
वहां जाके देखा तो भिया कार का मेले लगे थे और लोगो के आते पते नि थे ,
हर तरफ साफ़ सफाई थी और धुल धक्कड़ के वांदे थे ,
इतनी बड़ी इमारते की देख के सिर घूम रिया था ,
और बड़ा तो क्या वहां का तो बच्चा भी इंग्लिस में बोल रिया था ,
अपने प्रकाश भिया पहले से ही थे अमरीका में , वो आये अपने को रिसिव करने ,
मेरा माथा तब ठनका जब वो लेफ्ट के बदले चले राईट चलने ,
बोला क्या भिया कितने साल हो गए ड्राइव करते करते ,
मेरे चिल्लाने पर उन्होंने समझाया मुझे अमरीका का राईट चलते चलते ,
मैंने बोला भिया यहाँ का सिस्टम ही उल्टा है ,
तभी इंडिया ने निचे से और अमरीका ने ऊपर से टॉप किया है
और पता चला यहाँ पेट्रोल को कहते हैं गैस
बनियान के साथ झंडे की निक्कर को भी कहते हैं ड्रेस ,
जहाँ लडको से ज्यादा लड़किया मारती है सुट्टा ,
रिश्ते नातों का यहाँ अच्छे से लगा हुआ है बट्टा ,
देखने की बात है यहाँ ना कभी बिजली जाती है ना पानी ,
पर कभी कंप्यूटर फ़ैल हो जाए तो पुरे अमरीका को याद आ जाएगी नानी ,
हर जगह मिलेगा मक डोनाल्ड और मिलेगा सबवे
जो बात आप भूल नहीं पाओगे वो होंगे अमेरीकन हाईवे ,
और बहुत कुछ देखने के बाद भिया अपन तो यही कहेंगे ,
दुनियां की सबसे ताकतवर कंट्री का अच्छा लगा बनके अपने को गेस्ट ,
पर चाहे हो इस्ट या हो वेस्ट , अपना इंडिया ने अपना इंदौर सबसे बेस्ट

- इन्दोरी जनता के लिए इन्दोरी भिया अमित नन्दवाल

2 comments:

  1. Very very good.. nice.. will look for more poems :)

    ReplyDelete
  2. Excellent Amit, I can feel the pain and pathos empathetically. Though you have written it in a humorous mood but it is pinching a lot sense of loneliness and not having in our own City. Good keep it up I mean writing and come back soon.
    Tk cr

    ReplyDelete