Saturday, June 4, 2011



इन्दोरी भिया और प्यार का पंचनामा

इन्दोरी भिया सन्डे सूबे सूबे नहा धो के पोहे की दूकान पर अपने मित्र परकाश भिया से मिलते है ,
फिर दोनों में क्या बातचीत होती है , मतलब इन्दोरी भिया क्या बोलते हैं चलिए हम भी सुनते हैं !
क्योंकि भिया हम तो इन्दोरी हैं पेले अपनी बात बोलेंगे , फिर ही तो नंबर आएगा अगले का ..

' अरे परकाश भिया , कल तो क्या सोलिड फिल्म देखि यार , आओ सुनाता हूँ उसकी कहानी ,
भिया सालों बाद ऐसी धांसू फिल्म देखि की इंटरवल में जाके ना खाया ५० का समोसा , ना पिया फिरि का पानी ,

अरे भिया अपन तो नाम सुनके इच बावले हो गए थे ,
ए बोले नाम क्या मूवी का , प्यार का पंचनामा ,
मेने किया भिया इतंने दिन से ये अपन चौक पे कर रिये थे ,
फाईनाली फिल्म वालो ने भी कर दिया ये ड्रामा ,

भिया कहानी ३ साफ़टवेयर वाले लडको की है ,
अरे वोही अपने tcs/इनफ़ोसिस वाले बिल्ला लगाके घूमते है ना वोही ,
एं . क्या इसके अलावा भी कोई कंपनी होती है क्या ,
यार आईडिया नि है यार , अपने रमेश का छोरा और कलावती की छोरि तो इनमे ही है ,
अपन को लगा बाकी सारे काल सेन्टर ही होते होंगे , चलो कोई नि आगे सुनो

लडको के नाम इन्दोरी इश्टआयल में दिए हैं , रज्जो , liquid और चौधरी ,
इनमे से ये चौधरी को तो मैंने कने कायकी एड में तो देख रखा है , पूरा doubt है मेरे को,
भिया ने मस्त बाडी वाडी बना के राखी है , अपने कल्लू पेलवान भी शरमा जाए ,
सबसे सीधा ये इच लगा भिया अपने को , वैसे भी बाडी वालो का दिमाग याने राजवाड़े में सनाटा ,
४० साल हो गए आज तक देखने को नि मिला पूरी लाइफ में ,

वैसे ये लड़के कम लग रिये थे , frustation की फ़ौज ज्यादा लग रिये थे ,
साले इतना कमा रिये थे फिर भी शान्ति नि थी इनको ,
नि तो बोलो भिया 40,००० की सेलेरी और रो ऐसे रिये थे ,
अपने इंदौर में तो इतनी सेलेरी में ४ बार रैडिसन हो आऊं महीने में

यहाँ मूवी में सुरुआत में ही वो liquid का liquid रोक दिया था ,
बापडे ने अगले सीन में वो भजन सुनाये हैं की पूछो मत ,
अपन ने अगल बगल देखा कोई लेडिस तो नि बैठी गलती से ,
देखा तो दिमाग का दही हो गया , लड़कियां लडको से ज्यादा हस रही है ,
ये इंदौर में जबसे टी.आइ खुला है तब से पूरी generation ही बिगड़ गयी है ,

पर बंदा डेड शाना था , पूरी मूवी में गालियों का licence ले रखा था भाई ने ,
और पूरी मूवी में पब्लिक ने उसके dialogue पर सिटी मारी है ,
मैंने बोला इंदौर की जनता भी बावली हो गयी है ,
पाट्निपुरे पे कोई 'साला' भी बोल देता है तो हाथ में क्या क्या उठा लेते हैं ,
ने यहाँ पे हाथ उठा के तालियाँ पीट रहे हैं ,

पर भिया अपना फेवरेट charachter तो निकला रज्जो ,
अरे हाँ भिया निकली नि निकला है , मूवी ऐसे ही थोड़ी धांसू है ,
ब्रेक के बाद जो भाषण लपेटा है उसने लडकियों पे ,
भिया अपने तो आँख कान नाक सब खुल गए ,
मतलब भिया तारीख पे तारीख , तारीख पे तारीख ,
अरे मतलब हिट पे हिट . हिट पे हिट . हिट पे हिट ,
कह दिया तभी अपन ने इंडिया में नहीं सकती ये पिक्चर पिट

भिया तुम्हारी जलेबी अब बहुत ठंडी हो गयी है , जल्दी से निपटाओ ,
और मजा लेना हो तो पेली फुर्सत मिलते ही रिगल में ये पिक्चर देख के आओ

- आपके इन्दोरी भिया ( अमित नन्दवाल )

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